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इंद्रेश्वर मंदिर के बाद हरसिद्धि शहर का सबसे पुरातन मंदिर माना जाता है। पंढरीनाथ मंदिर से सीधे पुल पार करते ही यह मंदिर दिखाई देता है या यु कहे क्षत्रिबाग क्षेत्र के प्रवेश पर स्थित है | इस मंदिर में विशेषकर नवरात्र में भक्तो की संख्या बढ जाती है | मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होलकर ने 21 मार्च 1766 को कराया था। तब यहाँ उनके पुत्र श्रीमंत मालेरावजी का शासन था। मंदिर में स्थापित देवी की दिव्य मूर्ति पूर्वाभिमुखी महिषासुर मर्दिनी मुद्रा में है। पं. जनार्दन भट्ट संस्थापक पुजारी थे, जिन्हें देवी अहिल्याबाई ने सनद देकर पुरोहित नियुक्त किया था। मंदिर परिसर में बाद में निर्मित शंकरजी व हनुमान जी के मंदिर भी हैं। लोगों की मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से शरीर पर निकलने वाले दाने, जिन्हें स्थानीय बोलचाल में (माता) कहते हैं, नहीं निकलते। इस मंदिर के दाई और एक पुराना सा खंडहर भी बना है जिसे रुक्मणी देवी का मंदिर कहा जाता है यह पुरातत्व विभाग के अधिपत्य में है परन्तु इसकी देखरेख की और किसी का ध्यान नहीं गया | इसके अलावा नवजात के बालों का प्रथम मुंडन भी यहाँ पर ही होता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि की दशमी और अश्विन मास की दशमी को माँ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। भक्तगण इस दिन माँ के दर्शन सिंहवाहिनी के रूप में करते हैं। देवी भगवती का अभिषेक ब्रह्म मुहूर्त में और आरती सुबह सा़ढ़े 7 व 10 बजे तथा रात 9 बजे होती है।
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इसके अलावा श्रीसूक्त, ललिता सहस्रनाम और दुर्गा सप्तशती के पाठ किए जाते हैं। श्रद्धालु भी दरबार में विशेष पूजन-पाठ कराते हैं। अष्टमी पर विशेष हवन के साथ नवमी पर मंदिर परिसर में कन्या भोजन आयोजित किया जाता है।
मंदिर से कई किन्वदंतियाँ भी जु़ड़ी हैं। मंदिर के सामने कभी एक पक्की बाव़ड़ी हुआ करती थी। बताया जाता है कि माँ की मूर्ति इसी बाव़ड़ी से मिली थी। यह भी कहा जाता है कि महाराजा मल्हारराव होलकर को युद्ध से लौटते समय इस मूर्ति के दर्शन हुए थे।
हरसिद्धि मंदिर में आम लोगों के साथ ख्यात हस्तियाँ भी समय-समय पर आती रही हैं। यहाँ दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह यहाँ आते रहे। होलकर वंशज और प्रसिद्ध सिने कलाकार विजेन्द्र घाटगे यहाँ हमेशा आते रहते हैं।
इन्दौर की सांस्कृतिक समृद्धि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आभार।