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बीआरटीएस पर शनिवार को एक आई-बस जलकर खाक हो गई। हादसा शाम करीब 5:45 बजे होलकर साइंस कॉलेज के सामने हुआ। भंवरकुआं की ओर जा रही बस के पिछले हिस्से में एलईडी लाइट की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी।
हादसे के वक्त बस में 30 से ज्यादा यात्री थे। धुआं देख ड्राइवर-क्लीनर ने बस को फौरन नजदीकी स्टॉप पर रोका और यात्रियों को उतार लिया। दोनों की सूझबूझ से यात्रियों की जान बच गई। इसके बाद वे आग को फायर एक्सटिंग्युशर से बुझाते रहे। हालांकि लपटें तेज होने से मिनटों में बस जलकर खाक हो गई।
यात्री चिल्लाए, कांच में देखा धुआं... और तुरंत बस खाली की
- ड्राइवर हरजिंदर सिंह ने बताया मैं नौलखा चौराहा स्थित स्टॉप से बस लेकर बढ़ा, तब उसमें 30 से ज्यादा यात्री थे।
- होलकर साइंस कॉलेज के सामने वाले स्टॉप से 100 मीटर पहले यात्री चिल्लाने लगे कि वायरिंग में स्पार्किंग हो रही है।
- मैंने साइड मिरर में देखा तो धुआं देखकर तुरंत स्टाॅप पर बस ले गया और तीनों गेट खोल यात्रियों को उतारा।
- आग बढ़ने लगी तो स्टॉप भी खाली करवा लिया था। वहीं, सीईओ सोनी ने बताया घटना के बाद पौन घंटे तक आई-बसें बंद कर दी थीं।
चार साल में ऐसा पहला हादसा
- एआईसीटीएसएल के सीईओ संदीप सोनी ने बताया कि यह बस मोनोकॉक डिजाइन पर तैयार है, जो सुरक्षा मापदंडों पर सबसे आगे हैं।
- इसका डिजाइन ऐसा है कि एक्सीडेंट होने पर भी यात्रियों को कम से कम नुकसान हो। शहर में चार साल से चल रही आई-बसों में अब तक का यह पहला हादसा है।
- सीईओ ने बताया बस में किसी तरह की गड़बड़ी या घटना होने पर स्टाफ इसकी सूचना कंट्रोल रूम पर देता है। इसके आधे मिनट में मदद पहुंच जाती है।
- कॉरिडोर के हर स्टेशन पर चार और चौराहे पर तीन कर्मचारी तैनात रहते हैं। साथ ही कॉरिडोर पर कंट्रोल रूम होने से तुरंत सहायता रवाना होती है।
- सुपरवाइजर पूरे समय कॉरिडोर पर घूमते रहते हैं। बड़ा हादसा इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि हर दो से तीन मिनट में बस या तो स्टेशन पर पहुंचती है या चौराहे पर।
मेयर-कलेक्टर ने दिए आग की घटना की जांच के आदेश
- आई-बस में आग लगने की घटना पर एआईसीटीएसएल चेयरमैन व महापौर मालिनी गौड़ और कलेक्टर पी. नरहरि ने जांच के आदेश दिए हैं।
- इसके लिए कमेटी बनाई है, जो पांच बिंदुओं पर पड़ताल कर सात दिन में रिपोर्ट देगी।
- कलेक्टर का कहना है कि बस बनाने वाली कंपनी के एक्सपर्ट्स को भी बुलवाया है। सुरक्षा के लिहाज से पूरे सिस्टम को नए सिरे से देखा जाएगा।
करीब 50 हजार लोग करते हैं रोज सफर
बीआरटीएस पर शनिवार शाम जिस आई-बस में आग लगने की घटना में 30 से ज्यादा यात्री बाल-बाल बचे, वैसी 42 बसें शहर में चल रही हैं। इनमें राेज करीब 50 हजार यात्री सफर करते हैं।
आई-बस में लगी आग के बाद एआईसीटीएसएल प्रबंधन बुरी तरह सहमा हुआ है। एहतियात के तौर पर बाकी बसों को बारीकी से चेक किया जा रहा है। हादसे के दूसरे दिन रविवार को पुणे से बस निर्माता कंपनी करोना के इंजीनियरों की टीम भी आई। उसने डिपो पर खड़ी लगभग 15 बसों को चेक किया। उधर बस ऑपरेटर कंपनी सरको इंडिया की टीम ने भी बसों का रखरखाव देखा।
एआईसीटीएसएल के सीईओ संदीप सोनी ने बताया कि रविवार सुबह 7 बजे ही करोना कंपनी की टीम आ गई थी। बसों की चेकिंग के दौरान वायरिंग, इंजन, फ्यूल टैंक और सेफ्टी फीचर्स चेक किए गए। हम हर बस का मेंटेनेंस और
ऑडिट दिखवा रहे हैं। रविवार को भी बसें फुल फ्लो में चलती रहीं। यात्रियों ने आई-बस का भरपूर उपयोग किया। बसें चलाने के लिए ऑपरेटर कंपनी को पर्याप्त पैसा दिया जाता है।
इसलिए बसों के रखरखाव और सफाई आदि के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता। आई-बस चार साल से चल रही है, लेकिन अब तक ऐसा कोई हादसा नहीं हुआ। यह हादसा हमारे लिए शॉकिंग है। तकनीकी टीम की जांच के बाद ही स्थिति साफ होगी कि आखिर बस में आग किस कारण लगी।
एडीएम की अगुआई में घटना की जांच शुरू
वहीं एडीएम अजयदेव शर्मा की अगुआई में जांच भी शुरू हो गई है। तकनीकी जांच दल में बस निर्माता कंपनी, बस ऑपरेशनल और मेंटेनेंस कंपनी के अलावा दो अन्य कंपनियों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। इनमें इंजन बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी कमिंस इंडिया लिमिटेड और बीई कमर्शियल लिमिटेड (वॉल्वो और आयशर का संयुक्त उपक्रम) शामिल है।
रविवार को एडीएम ने आरटीओ एमपी सिंह और एआईसीटीएसएल के सीईओ और कंपनियों के विशेषज्ञों के साथ बैठक की। हादसे की प्रारंभिक जानकारी लेने के बाद सभी बिंदुओं पर विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान घटना स्थल का भी मुआयना किया गया। अब विशेषज्ञों से तकनीकी बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट मांगी गई है। जांच दल को सात दिन का समय दिया गया है।