वीर सावरकर मार्केट और बैंक आफ इंदौर

वीर सावरकर मार्केट और बैंक आफ इंदौर

वीर सावरकर मार्केट
अगर आप इंदौर में रहते है तो राजवाडा तो गए ही होंगे जी हां वहो जिसके बारे में पिछली पोस्ट में लिखा था | जब आप राजवाडा के लिए मुड़ते है तो वहा एक बड़ा सा दरवाजा आता है गेरुए रंग का जिसे हम सभी वीर सावरकर मार्केट के नाम से जानते है |
सन 1911 में जब महाराजा तुकोजीराव तृतीय का राजतिलक किया गया तो उन्होंने अपनी पाश्चात्य शिक्षा और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम के कारण इंदौर नगर को एक प्रगतिशील सुव्यवस्थित नगर के रूप में पहचान दिलाने कि प्रक्रिया शुरू कि | इसी के तहत इंग्लॅण्ड से सर मेकनेव नाम के आर्किटेक्ट को इंदौर आमत्रित किया गया और उसकी योजनानुसार नगर में सुव्यवस्थित मार्केट और मोहल्ले बनाने कि प्रक्रिया शुरू हुई | इसी का प्रतिफल है राजवाडा और नंदलालपुरा को जोड़ता हुआ एक मार्केट जो कनाट प्लेस कि तरह ढके हुए फुटपाथो का एक सुव्यवस्थित बाज़ार था | इसका नामकरण 1911 से लेकर 1914 तक पदस्थ रहे बोंझांग कैट के नाम पर किया गाय | 1914 तक यह बनकर तैयार हो गया था जो आज भी उसी मूल रूप में कायम है | आज़ादी के बाद भी दो तीन दशको तक इसे इसी नाम से जाना जाता रहा परन्तु कुछ वर्ष पूर्व इसका नाम वीर सावरकर मार्केट कर दिया गया |
स्टेट बैंक आफ इंदौर
स्टेट बैंक आफ इंदौर

इस मार्केट के नंदलालपुरा वाले मुहाने पर एक बहुत बड़ा गेट है उसके ठीक सामने मकानों कि श्रंखला है | उसी में 23 मार्च, 1920 को द बैंक आफ इंदौर लिमिटेड ( इंदौर बैंक ) का स्थापना कलश रखा गया | अंग्रेज मेनेजर बिट्लेरो, सर अराठुंड और मिस्टर हाटन आदि बैंक आफ इंग्लॅण्ड के प्रिशिक्षित मेनेजर इस बैंक में पदस्थ रहे | 10-12 वर्षो तक यह बैंक इसी स्थान पर कार्य करता रहा और सन 1932-33 में ये बैंक प्रिंसयशवंत रोड पर स्थानातंरित हो गया | 1931 में पदस्थ प. विभूतिभूषण मिश्रा जो इस बैंक के चीफ अकाऊटेंट बने थे  और अपने पुरे कार्यकाल में इसी पद पर बने रहे | उनके बारे में एक बात कही जाती थी कि वे कितनी भी लम्बी जोड़ हो उसे एक पेंसिल लेकर प्री जोड़ मुखाग्र लगा देते थे | इसके अतिरिक्त आयातित नागर व् अन्ने साहब का नाम उल्लेखनीय है साथ ही होलकर राज्य के मंत्री मोतीलाल विजयवर्गीय और नथमल बोथरा इस बैंक के मेनेजिंग बोर्ड के डायरेक्टर रहे | एन. डी. जोशी जो प्रमुख सचिव थे इंदौर बैंक के प्रथम मेनेजर बने |

सन 1960 में इंदौर बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ( भारतीय बैंक ) कि सब्सिडरी बन गई व इसका नाम 1 जनवरी 1960 से स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर हुआ, इसमें इस अधिकरण के पहले स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर ने 98.05 प्रतिभूति अपने पास रखी थी | सन 1962 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर ने बैंक ऑफ़ देवास को अधिग्रहित ( Acquired) कर लिया जो कि 1936 में स्थापित हुआ था और देवास जिले का पहला बैंक था | 1965 में बैंक ने देवास सिनिअर बैंक को अधिग्रहित कर लिया जो कि 1941 में स्थापित हुआ था | 1971 में इसे ए (A) क्लास दी गई और अंत में सन 2009 में केंद्र सरकार द्वारा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर को एक करने कि कवायद शुरू कि गई और 15 जुलाई, 2010 को केबिनेट ने अधिग्रहण अधिकृत किया, 26 अगस्त, 2010 को स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर अधिकारिक रूप से स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में शामिल हो गया | उस समय बैंक 470 से अधिक शाखाए 300 से अधिक शहरो में फैली हुई थी |

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