Indore Rajwada, राजवाडा महल इंदौर

Indore Rajwada, राजवाडा महल इंदौर
मध्यप्रदेश देश का दिल और मध्यप्रदेश का दिल है इंदौर | वैसे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है मगर इंदौर का अपना महत्व है | और इंदौर का दिल है राजवाडा | राजवाडा का सोदर्य इसकी सात मंजिला भवन को देखते ही बनता है और राजबाड़ा एकलोता ऐसा महल है जिसके प्रवेश द्वार पर 7 मंजिला है 1747 ई. के आसपास मल्हारराव होलकर ने परिवार के निवास हेतु करीब चार लाख रुपये खर्च करके इस महल का निर्माण करवाया | मराठा शैली में निर्मित इस महल के सिंह द्वार पर दोनों तरफ पहरेदारो के लिए चौकिया थी | प्रवेश द्वार से भीतर जाते ही विशाल खुला स्थान है, जहा उत्सवों और पर्वो का आयोजन होता था | द्वार के पशिचम में गणेश हाल में होलकर नरेश दरबार लगाते थे |राजमहल के चारो और सुर और स्वर का माधुर्य बिखेरा जाता था | इसमें से नीचे के तीन मंजिले मार्बल की बनी थीऔर बाकी ऊपर की मंजिले लकड़ी की बनी है | प्रथम तीन माजिले पत्थर (Marble) की बनी हुई राजपूत शैली की परिचायक है चौथी से लेकर सातवी मंजिल मराठा

शैली की है, जिसमे काष्ठ (लकड़ी) कार्य अधिक है | स्थापत्य की द्रष्टि से राजबाड़ा मुस्लिम, राजपूत, मराठा, इतालवी स्थापत्य (Architecture) का मिश्रित रूप है | इसका दक्षिणी भाग मुग़ल स्थापत्य (Architecture) एवम पूर्वी द्वार मराठा स्थापत्य (Architecture) तथा गणेश हाल, दरबार हाल आदि फ्रेंच बैसेलिक शैली का बना है | प्रवेश द्वार की रचना हिन्दू शैली के राज़ प्रसादो की तरह है | सन 1801 में सिन्ध्य के सेनापति सरजेराव घाटे ने राजबाड़ा जला दिया | 1818 से 1826 के बीच आग से बचे प्रवेश द्वार की ऊपर की 5 मंजिल पुन: ठीक की गई | इसमें होलकरो के प्रधानमंत्री तत्याजोग ने अथक योगदान दिया | 1826 से 1833 के मध्य वर्तमान की पूर्ण ईमारत का निर्माण किया गया | दुर्देव ( दुर्भाग्य) से 1834 में आग लगने से लकड़ी की बनी एक मंजिल नष्ट हो गई | 1844 में तुकोजीराव द्वितीय को गोद लिया गया, तब होलकर वंश का 1852 में प्रथम राजतिलक इसी भवन में हुआ | 1984 में इसका प्रष्ठ भाग जला | अब राजवाडा को देखने के लिए आपको अपनी जेब से कुछ रूपये भी खर्च करना होंगे इसमें भरतीय व्यक्ति को देखने के लिए प्रवेश शुल्क 10 रु. व् विदेशी सैलानियों को 100 रु खर्च करना होंगे इसके अतिरिक्त अगर आप कोई पिक्चर/फोटो या विडियो लेना चाहते है तो इसके लिए क्रमश: 5रु से 250 रु तक का खर्च हो सकता है | इंदौर का नाम लेते ही सबसे पहले इसी राजवाडा का चित्र हमारे मानस पटल पर उभरता है | होलकर राज़ तो अब नहीं रहा परन्तु राजवाडा आज भी राजवाडा इंदौर की शान बना हुआ है | और अपने ह्रदय में किसी युगपुरुष की भाती मालवा इतिहास संजोये हुए है |

Indore Rajwada, राजवाडा महल इंदौर

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