Khajuri Bazar, खजुरी बाजार

Khajuri Bazar, खजुरी बाजार

Khajuri Bazar, खजुरी बाजार"
Khajuri Bazar, खजुरी बाजार

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान
ज्ञान को महामंडित करने वाला यह दोहा करीब एक सदी पुरानी स्वरूप ब्रदर्स कि दुकान कि अभ्यास पुस्तिकाओ पर अंकित रहता था | आपने जब भी खजुरी बाजार का नाम सुनते है तो ऐसा लगता है जैसे इस बाजार का नाम किसी खजूर के पेड़ के कारण पड़ा होगा | परन्तु इस बाज़ार का नामकरण होलकर राज्य के प्रतिष्ठित जागीरदार घराने के कारण पड़ा | कहा जाता है कि राव राजा जसवंत सिंह नमक एक सज्जन इस मोहल्ले में रहते थे जिनके नाम पर इस सड़क का नाम खजुरी बाज़ार रखा गया होगा |

यहाँ कई दशको से व् कई पीढियो ने यहाँ से पट्टी पेम से लेकर पीजी तक की पठन-पाठन सामग्री खरीदी है | हाल एंड स्टीवंस की ज्यमेत्री, सर विंसेंट स्मिथ की हिस्ट्री ऑफ़ मार्डन इंडिया और काक्स की सिलेक्शन इन इंग्लिश प्रोज की पुस्तके पढ़कर बढ़ी डिग्री पाई | यहाँ 80 वर्ष पुरानी दुकान दीनानाथ बुक डीपो थी जहा 200 वर्ष पुरानी हर विषय की पुस्तके आधे मूल्य पर मिलती थी | इस बाज़ार में आज भी काफी कम मूल्य पर किताबे मिलती है और यहाँ पर पुरानी और नई किताबे खरीदी बेचीं जाती है | रविवार का दिन विशेष आकर्षण का होता है इस दिन दुकाने तो बंद रहती है मगर बाहर फुटपाथ परविक्रेता किताबे फैलाकर बेचने को रखते है | इसके अतिरिक्त अगर आपको कोई भी पुरानी किताब चाहिए तो यहाँ वह आसानी से उपलब्ध हो सकती है | रविवार के दिन यह फुटपाथ पे लगी दुकाने शाम के 3.30 से 4 बजे तक शुरू हो जाती है व अँधेरा होने तक रहती है |

Khajuri Bazar, खजुरी बाजार

यशवंत राव होलकर प्रथम से लेकर यशवंत राव होलकर द्वितीय तक के लम्बे अंतराल में जिन प्रतिष्ठित घरानों का होलकर राज्य कि सरंचना और कूटनीति व्यूह रचना में महत्वपूर्ण योगदान रहा उनमे से कुछ इसी सड़क पर अपनी अपनी हवेलियों में रहा करते थे | मध्यभारत के तत्कालीन डेवलेपमेंट कमिश्नर स्व. सुरेन्द्र नाथ दुबे के पितामह राज्य के प्रधान सेनापति थे | यह काल था तुकोजीराव द्वितीय का | इन्ही के वंश के मेजर राम प्रसाद और जनरल दुर्गा प्रसाद राज्य के विभिन्न सैनिक पदों पर आसीन रहे | महाराजा तुकोजीराव तृतीय के बाल सखा रहे राय बहादुर डा. महादेव पृथ्वीनाथ महाराजा के साथ मेयो राजकुमार कालेज अजमेर में कम्पेनियन के रूप में गये थे | उसके बाद आपने 1908 में लन्दन से एम्.आर.पी.वी.एस. ( मेंबर ऑफ़ रोयल कालेज ऑफ़ वेटेनरी सर्जन) कि उपाधि अर्जित कि | सन 1910 में आपने सेंडहर्स्ट मिलिट्री एकेडेमी से केवली में विशेष योग्यता हासिल की | आपको महाराजा ने होलकर केवली ( घुड़सवार सेना ) का इंचार्ज बना दिया | इनकी हवेली भी इसी सड़क के आगे हुआ करती थी |

खजुरी बाजार और यशवंत गंज परिक्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे इंदौर के इतिहास पुरुष बक्शी खुमान सिंह | इनके वंशज भी लगभग होलकर राज्य की समाप्ति तक अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे | राज्य के प्रथम प्रधान सेनापति रहे राजा जनरल भवानी सिंह का नाम अत्यंत उल्लेखनीय है | इनकी हवेली के कमपाउंड को जनरल साहब का बाड़ा कहा जाता था | इसी बड़े के कुछ हिस्से मालवा क्षेत्र के प्रमुख व्यवसायी नाथूलाल नारायणदास जो रब्बवाला के नाम से मशहूर थे , के अफीम के गोडाउन थे | उस देश काल में ब्राहमण व् क्षत्रिय जो सेना में काम करते थे उनका रुझान पूर्णत: क्षत्रिय के समान हो जाता था | ब्राहमण परिवारों के एक हाथ में शास्त्र व् एक हाथ में शास्त्र होता था |

खजुरी बाजार के पास में यशोदा माता का मंदिर अपने आप में निराला स्थान रखता है | प्रणामी मंदिर, रामानुज कोट का मंदिर और मदनमोहन का मंदिर खास है |

गोराकुंड चौक के पास में एक अत्यंत प्राचीन जानकी नाथ मंदिर है | रोड के मुहाने पर एक तात्या की बावड़ी हुआ करती थी जो उस काल में पुरे पशिचमी क्षेत्र में जल प्रदान करती थी ( इसके बारे में आप पिछली पोस्ट में पढ़ सकते है )

तात्या का तात्पर्य था किबे सरकार के पूर्वज जिन्होंने होलकर राज्य की तरफ से सर जान मालखम के साथ संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए थे | शकर बाज़ार में तीन विशाल जैन मंदिर है जिन्हें तेरापंथी, बिचका व् मारवाड़ी मंदिर कहा जाता है | तेरापंथी जैन मंदिर में स्फटिक मणी की दर्शनीय प्रतिमा है | इस सड़क पर देश के जाने-माने साहित्यकार  इश्वरचंद जैन, कथा लेखिका मनु भंडारी, कवी चंद्रकांत देवताले व् हिंदी कहानी लेखिका मालती जोशी ने भी निवास किया | नंदलाल भंडारी स्कुल नामक एक विशाल ईमारत भी खजुरी बाज़ार के मध्य थी |


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