१८ वी शताब्दी के आरम्भ से १९ वी शताब्दी के मध्य यह छत्रिया बने गयी है होलकर राज्य में छतरियो का निर्माण सन १७८० में प्राम्भ हुआ जब अहिल्याबा...

छत्रीबाग की छत्रिया में सबसे पहले आप को एक बड़े से दरवाजे से गुजरना होता है इन छतरियो को विशाल परकोटे के घेरे में रखा गया है और प्रवेश करने के लिए एक ही द्वार है | भीतर प्रवेश करने के बाद भी एक और दरवाजा आता है जिसके दरवाजे लकड़ी के बने है |

वही लकड़ी के दरवाजे से इस परकोटे के दूसरी और प्रवेश करते है यहाँ बायीं और आपको राजकन्या स्नेहलता राजे की छतरी है जिनका जन्म 2 अक्टूम्बर,1915 को हुआ व मृत्यु 8 नवम्बर, 1925 को हुई | यह छतरी संगमरमर (सफ़ेद मार्बल) की बनी है |


रही बात यहाँ तक पहुचने की तो आपने इंदौर कलेक्टर ऑफिस तो देखा ही होगा पुराना वाला इससे महू नाके जाने वाले रास्ते पर पहली गली जो की जिला पंचायत के कार्यालय के पास पढ़ती है के बाद वाली गली में सीधे जाने पर आपको साईं धाम मंदिर मिलगे और वही आप को यह छत्रिया भी दिख जाएँगी |
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