Chhatribag ki chhatriya छत्रीबाग की छत्रिया

१८ वी शताब्दी के आरम्भ से १९ वी शताब्दी के मध्य यह छत्रिया बने गयी है होलकर राज्य में छतरियो का निर्माण सन १७८० में प्राम्भ हुआ जब अहिल्याबाई होलकर ने आलमपुर जिला भिंड में अपने ससुर सूबेदार मल्हार राव होलकर की छत्रिया बनवाई थी |
छत्रीबाग की छत्रिया में सबसे पहले आप को एक बड़े से दरवाजे से गुजरना होता है इन छतरियो को विशाल परकोटे के घेरे में रखा गया है और प्रवेश करने के लिए एक ही द्वार है | भीतर प्रवेश करने के बाद भी एक और दरवाजा आता है जिसके दरवाजे लकड़ी के बने है |
जैसे ही आप परकोटे से प्रवेश करते है तो जो पहली छतरी आती है वो है कै. मल्हार राव होलकर (द्वितीय मृत्यु 1833 ) की छतरी है यह एक सादा सी छतरी है इसके बिलकुल सामने शिव भगवान का मंदिर है | इसके पड़ोस में कै. तुकोजीराव होलकर (द्वितीय जन्म सन 1835 , मृत्यु सन 1886 ) की छतरी है वही सामने अहिल्या बाई होल्कर की मूर्ति रखी गयी है जो की संगमरमर की बनी है व उनके हाथ में शिवलिंग है | इन छतरियो में की गयी नक्काशी को आप देख सकते है इनमे बेल बुटो और विभिन्न आकृतियों को उभारा गया है | इनके बहर की तरफ कृष्णपुरा की छतरियो की तरह मुर्तिया बने गयी है जिनके हाथ में बंदूके और हथियार भी है | परकोटे के चारो और भीतर से कुछ जगह भी बनाई गयी है जो की एक बरगी किसी ख़ुफ़िया रास्ते की तरह दिखती है पर यहाँ दरवाजे लगा दिये गये है |
वही लकड़ी के दरवाजे से इस परकोटे के दूसरी और प्रवेश करते है यहाँ बायीं और आपको राजकन्या स्नेहलता राजे की छतरी है जिनका जन्म 2 अक्टूम्बर,1915 को हुआ व मृत्यु 8 नवम्बर, 1925 को हुई | यह छतरी संगमरमर (सफ़ेद मार्बल) की बनी है |
इसी के पड़ोस में इंदिराबाई होलकर की समाधी है जो की चोकोर आकार में काले मार्बल से बनी है आपका जन्म ज्येष्ठ सुदी ९ शक 1896 को हुआ और मृत्यु 11 जून, 1896 को हुई | राजकन्या स्नेहलता राजे  की छतरी के सामने महाराजा मल्हार राव होलकर की छतरी है इनका जन्म 16 मार्च, 1693 को हुआ व मृत्यु 20 मई, 1766 को हुई | आपका शासन काल सन 1731 से 1766 तक रहा | पुरे छत्रीबाग में आपकी छतरी में की गयी कारीगरी देखते ही बनती है, व यह छतरी काफी प्रसिद्द है इसमें परकोटे की तरह गुम्बद से कुछ मार्बल जोड़ी गयी है व उन पर कारीगरी की गयी है इसके दरवाजे पर कई तरह की डिज़ाइन बनाई गयी है | इसके खम्बो पर कई तरह की आक्रतिया उकेरी गयी है इसके अतिरिक्त मुंडेर पर तस्वीरे भी बनाई गयी है जिन्हें आप तस्वीरों में देख सकते है | इसके पड़ोस में राजमाता अहिल्या बाई होलकर ( जन्म 31 मई, 1725 / मृत्यु 13 अगस्त, 1795 शासनकाल 1767 -1795) और श्रीमंत खंडेराव होलकर ( जन्म 1723 निधन 24 मार्च, 1754) का समाधी स्थल बनाया गया है वैसे अहिल्या बाई होलकर की छत्रिया महेश्वर में स्थित है | यह मंदिर की शक्ल में बनाया गया है यह एक शिव मंदिर है व इसमें अहिल्या बाई और खंडेराव की मूर्ति भी है | यह समाधी सामान्य रूप में बनाई गयी है | पड़ोस में ही श्रीमंत मालेराव होलकर ( जन्म 1745 / निधन 17 मार्च, 1767 / शासनकाल 1766 -1767 ) की छतरी है इसमें की गयी नक्काशी देखने लायक है यहाँ पर नक्काशी बड़ी बारीक़ है इसमें फूलो को भी छत्री को भीतर से देखने पर देखा जा सकता है | यहाँ इस छतरी की दीवार में एक गणेश मंदिर भी बनाया गया है |
इसके अतिरिक्त छत्रीबाग में अभी सुधार कार्य चल रहा है जिसे पुरातत्व विभाग के द्वारा कराया जा रहा है इसमें निचे मार्बल लगाये गये है व साफ़ सफाई की जा रही है और बगीचा भी बनाया गया है इस कारण से इसमें अभी जनता का प्रवेश बंद है | इसे कुछ समय बाद खोल दिया जाएगा और शुल्क भी लिया जाएगा परन्तु जब भी आप जायेंगे आपको यह जगह जरुर पसंद आएगी | यह तो रही छत्रीबाग की छतरियो की , यहाँ इसी जगह के पास में सूबेदार की छत्रिया भी है जो वेंकटेश भगवन के मंदिर के पास वाली गली में भी कुछ छत्रिया है यहाँ एक बावड़ी भी है और पास में खान नदी पर पुलिया है | इन छतरियो में भी समाधी भी है और शिव मंदिर भी है यहाँ छोटे से कुए बनाये गये है और चोकोर से पत्थर रखे गये है | इस छतरी के चित्र आप निचे देख सकते है |
रही बात यहाँ तक पहुचने की तो आपने इंदौर कलेक्टर ऑफिस तो देखा ही होगा पुराना वाला इससे महू नाके जाने वाले रास्ते पर पहली गली जो की जिला पंचायत के कार्यालय के पास पढ़ती है के बाद वाली गली में सीधे जाने पर आपको साईं धाम मंदिर मिलगे और वही आप को यह छत्रिया भी दिख जाएँगी |
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