गाँधी हाल, इंदौर में रहने वालो के लिए यह एक जाना पहचाना नाम है | गाँधी हाल का वास्तविक नाम किंग एडवर्ड (सप्तम) के नाम पर किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था | इसे सन १९०४ में बनवाया गया था जब किंग एडवर्ड (सप्तम) (King Edward 7th) को राजा बनाया गया था | इसके उपर राजपुताना शैली में गुम्बद और मीनारे बनी हुई है | यह भवन सफ़ेद सिवनी और पाटन पत्थरो से बना है इसे इन्ड़ोगोथिक शैली में बनाया गया है | इसके भीतर की छत प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी है इसका फर्श काले और सफ़ेद संगमरमर से बना है इसमें बीच की मीनार चोकोर आकार में बनी है और उसके उपरी हिस्से में चारो और घडी है यहाँ बड़ी सी घडी होने के कारण इसे घंटाघर भी कहते है | १९४७ में देश स्वतंत्र होने के पश्चात् इसका नाम गाँधी हाल कर दिया गया | गाँधी हॉल साल भर विभिन्न आयोजनों का केंद्र बिंदु बना रहता है यहाँ वर्ष भर कई तरह के संस्कृतिक आयोजन होते रहते है | इस भवन का निर्माण मुंबई (बॉम्बे) के प्रसिद्द वास्तुकार (आर्किटेक्ट) स्टीवेंसन (Stevenson) की देखरेख में हुआ और इसकी निर्माण की लागत २.५० लाख रुपये थी और इसका उदघाटन नवम्बर, १९०५ में प्रिंस ऑफ़ वेल्स (जार्ज पंचम) / Prince Of Wales द्वारा किया गया था |
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