जब हम खजराना जाते है तो वहा हमें खजराना के पहले चौराहे पर एक मूर्ति दिखाई देती है जो की सहस्त्रअर्जुन की है हा आप उनकी तस्वीर भी देख सकते है |
जब औरंगजेब बादशाह दक्खन को जितने के लिए आए थे तो इंदौर में नाहर शाह वली ने आपके लिए दुआ की थी और आप जंग को जीत गए आपके देहावसान के बाद आपकी आखिरी नमाज पढवाई थी |
जब होलकर बादशाह यशवंत राव होलकर की किडनी का आपरेशन होना था तब यहाँ से मन्नत मांगी गई थी और आपरेशन सफल होने से आज तक यहाँ होलकर राज्य की तरफ से चादर चढ़ाई जा रही है |
इस दरगाह में प्रवेश करने हेतु आपको एक बड़े से द्वार से भीतर जाना होगा यहाँ काफी बड़ा मैदान है और कई बड़े द्वार है | दरगाह वाले बाबा का लकब ( जो सर्वमान्य नाम, जिससे आपकी पहचान हो ) गाजी ( किले पर पहले झंडा गाड़ने वाला ) पढ़ा क्योकि आपने खुद ने कई लड़ाइया लड़ी |

मालवा की भाषा में शेर को नाहर भी कहा जाता है और इस दरगाह पर कई शेर आकर बैठे रहते थे जिस कारण से इस दरगाह का नाम नाहर शाह वाली दरगाह हुआ |


इस दरगाह तक पहुचने के लिए आपको खजराना मंदिर से कालका माता होते हुए जाना पड़ेगा |
कालका माता मंदिर जिसकी स्थापना को अधिक वर्ष नहीं हुए है इसका निर्माण 1 अप्रैल, 1986 ( चेत्र क्रिशन सप्तमी संवत 2042) में हुआ और यहाँ मूर्ति स्थापना 31 जुलाई, 1978 ( श्रावण शुक्ल पंचमी संवत 2043) एवं प्राण प्रतिष्ठा फाल्गुन शुक्ल तीज संवत 2047 यानि 17 फरवरी 1991 में हुई | यहाँ कालका माता की मूर्ति है वह पूर्णत: काले पत्थर की बनी है |
कालका माता मंदिर जिसकी स्थापना को अधिक वर्ष नहीं हुए है इसका निर्माण 1 अप्रैल, 1986 ( चेत्र क्रिशन सप्तमी संवत 2042) में हुआ और यहाँ मूर्ति स्थापना 31 जुलाई, 1978 ( श्रावण शुक्ल पंचमी संवत 2043) एवं प्राण प्रतिष्ठा फाल्गुन शुक्ल तीज संवत 2047 यानि 17 फरवरी 1991 में हुई | यहाँ कालका माता की मूर्ति है वह पूर्णत: काले पत्थर की बनी है |
Nahar shah wali rehmatullah bahot jalali he
Allah ke sache wali hai ..
बहुत सी जानकारी गलत है जैसे ये दरग़ाह 500 बरस पुरानी नहीं है। जैसा कि आपने भी लिखा कि औरंगजेब ने बाबा की जनाजे की नमाज पढ़ाई। ओरंगजेब का कार्यकाल आज से सन 1658 से लेकर 1707 तक रहा है। यानि करीब अगर हम 1658 भी मान लेवे तब भी सिर्फ 362 साल हुए। 150 साल का फर्क आ रहा है जो तर्कसंगत नहीं। दूसरी बात इस दरगाह के ख़ानदानी मुजावर अकबर पटेल नहीं है बल्कि मेरे शाह परिवार के लोग है जिन्हें 1772 ईसवी में मुगल सम्राट शाह आलम ने सनद भी दी थी। जो मुजावरों ने आपको बता दिया आपने विश्वास करके लिख दिया। खैर सुधार की जरूरत है 9340949476 में आपको दरगाह के कागजात दिखा सकता हूँ
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! मुझे उस समय जैसी जानकारी मिली थी दरगाह से वही जानकारी लिखी गई है अगर इसमें कुछ गलत है जैसा कि आप कह रहे है तो आप सही जानकारी लिखकर हमें Myindore09@gmail.com पर भेज सकते है हम इस लेख को अपडेट कर देंगे |