

इस प्राचीन मंदिर में स्थित प्रतिमा का बहुत अधिक महत्व था होलकर राज्य के समय रियासत के दफ्तर में प्रवेश करने के पहले इस मंदिर जाकर कर्मचारी और अफसर महालक्ष्मी माता के दर्शन जरुर करते थे | यहाँ श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता था परन्तु वर्तमान में महालक्ष्मी मंदिर में मुश्किल से दस-पंद्रह लूग ही खड़े रह पाते है फिलहाल मंदिर तीन की चद्दरो से ढका है पूरा मंदिर लकड़ी से बना है | इस मंदिर का अधिपत्य अभी खासगी ( देवी अहिल्या होलकर चेरिटिज़ ) ट्रस्ट के पास है और इसे पुरातत्व विभाग के द्वारा पुनरुद्धार की योजना भी है |