सेंट्रल जेल, जेल रोड और इन्दौर

सेंट्रल जेल, जेल रोड और इन्दौर

Central Jain From the Sky | सेंट्रल जेल, जेल रोड और इन्दौर
तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन 1885 में डेली प्रिंसेस कालेज का उद्घाटन करने पधारे थे | उस समय जब लालबाग पेलेस में उनका सम्मान किया गया तो उन्होंने महाराजा तुकोजीराव द्वितीय के प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा करते हुए इंदौर स्थित जेल का जिक्र किया था जो 1877 में बनी थी | कारण था कि इस जेल को महाराजा ने यातना गृह के स्थान पर एक सुधार केन्द्र के रूप में संचालित करने कि प्रेरणा दी थी जो उस देश काल में अद्वितीय कही जाएगी | साथ ही कैदियों को उनकी योग्यता के अनुसार साधारण कारीगरी की शिक्षा दी जाती थी ताकि वे सजा समाप्त होने के पश्चात अच्छे नागरिक बनकर अपना जीवन शुरू कर सके |

स्पष्ट है कि उस समय इस लंबी सड़क का नाम जेल रोड रखा गया जो आज तक कायम है | यद्यपि इसका पोस्टल एड्रेस देवी अहिल्या मार्ग कर दिया गया है तथापि आम आदमी के कार्य व्यवहार में यह आज भी जेल रोड ही है |

इस मार्ग पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कन्या विद्यालय है जो इंदौर के शेक्षणिक इतिहास में मील का पत्थर कहा जाएगा | महारानी चन्द्रावती महिला विद्यालय और अहिल्या आश्रम नामक इस संस्था का अगस्त 1920 में लार्ड चेम्स फोर्ड ने उदघाटन किया था | मूल रूप से इस संस्था को युवा विधवाओ के जीवन कल्याण के लिए स्थापित किया गया था | इस विद्यालय में उन्हें मेट्रिक तक की शिक्षा, भोजन व आवास आदि की सुविधाए राजकीय खर्च पर दी जाती थी | महाराजा का उददेश्य विधवाओ की परवरिश करना नहीं था लेकिन समाज के तथाकथित नियमों के चलते उन्हें अपने जीवन में स्वालम्बी होने का पाठ भी साथ में पढाना था | नगर की अन्य शिक्षिकाओ व छात्राओं के आने-जाने के लिए एक पर्देदार गाड़ी जिसे सिकरम कहा जाता था उन्हें मुफ्त मुहैया करवाई जाती थी |

छात्रों का एक विद्यालय भी इसी जेल रोड पर स्थित है | चिमनबाग चौराहे पर बनाये गए भवन में महाराजा शिवाजीराव विद्यालय का उदघाटन भी लार्ड चेम्स फोर्ड द्वारा ही किया जाता था | पूर्व के (इंदौर मदरसे) का यह नवीन रूप था | इस विद्यालय से अनेक ऐसे व्यक्तित्व निकले जिन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रो में ओना महत्वपूर्ण योगदान दिया है | इन्दौर इलेक्ट्रिक सप्लाई नाम से एक बिजली घर सन 1920 में महाराजा तुकोजीराव त्तृतीय ने स्थापित करवाया था जो अभी भी जेल रोड पर ही है | इन्दौर के रेसिडेंट व एजेंट टू द गवर्नर जनरल रेजिनार्ड ग्रासी साहब के नाम पर इसे नामित किया गया था | लंबे समय तक यह नगर की बिजली की आपूर्ति करता रहा | इंग्लेंड में शिक्षित इंजीनियर मि. पेलरेट और इन्दौर के श्री सारंग पाणी और सदाशिव बाबू जैसे इंजीनियर इस बिजली घर के महत्वपूर्ण नींव के पत्थर रहे है | आज यह एम पी ई बी कहलाता है | इस सड़क पर दो सिनेमाघर भी है जिन्हें अलका और ज्योति कहा जाता था | जेल रोड ही ऐसी सड़क है जहा प्रतिवर्ष अनंत चतुदर्शी के दिन निकलने वाली गणेशोत्सव की झाकियो की देखने के लिए लोग इन्दौर सहित आसपास के गाँवों से दो-दो दिन पहले डेरा जमा लिया करते थे |
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