इंदौर मदरसा के विकास की दृष्टि से यही 'लिथोग्राफिक प्रेस' शुरू हुआ | यही से हिंदी-उर्दू दो भाषाओ का मालवा अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ | मध्यप्रदेश के पहले हिंदी अखबार की शुरुवात 6 मार्च 1849 को इंदौर से प्रकाशन के साथ हुई जिसका नाम था मालवा अखबार |
साप्ताहिक समाचार पत्र "मालवा अखबार" के प्रभाव से घबराकर ही तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू किया था।
यह कहना उचित ही होगा कि साप्ताहिक समाचार पत्र (मालवा अखबार) से ही मध्यप्रदेश की पत्रकारिता की शुरूआत होती है।
6 मार्च 1849 को इंदौर से 1854 में ही जूना राजबाड़ा के सामने जनरल लाइब्रेरी शुरू की गयी जिसमे हिंदी मराठी और अंग्रजी अखबार और पत्रिकाए आने लगी, जनता में पढ़ने की रूचि बढ़ने के कारण सामाजिक, शैक्षणिक, साहित्यिक के साथ-साथ राजनितिक जाग्रति हुई | देश विदेश के समाचारों-विचारों ने जनता में ब्रिटिश राज्य और भारत की गुलामी के संबंध में ज्ञान बढ़ाया | इस जाग्रति का प्रभाव होलकर सेनाओ में भी पंहुचा जिससे अंग्रेजो के प्रति क्रोध की भावना प्रबल हुई | महाराजा तुकोजीराव-2 ने आसपास के राजा-नवाबो के पास गुप्त सन्देश भेजे |
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साप्ताहिक समाचार पत्र "मालवा अखबार" के प्रभाव से घबराकर ही तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू किया था।
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6 मार्च 1849 को इंदौर से 1854 में ही जूना राजबाड़ा के सामने जनरल लाइब्रेरी शुरू की गयी जिसमे हिंदी मराठी और अंग्रजी अखबार और पत्रिकाए आने लगी, जनता में पढ़ने की रूचि बढ़ने के कारण सामाजिक, शैक्षणिक, साहित्यिक के साथ-साथ राजनितिक जाग्रति हुई | देश विदेश के समाचारों-विचारों ने जनता में ब्रिटिश राज्य और भारत की गुलामी के संबंध में ज्ञान बढ़ाया | इस जाग्रति का प्रभाव होलकर सेनाओ में भी पंहुचा जिससे अंग्रेजो के प्रति क्रोध की भावना प्रबल हुई | महाराजा तुकोजीराव-2 ने आसपास के राजा-नवाबो के पास गुप्त सन्देश भेजे |
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