Indori jhaki

आज शहर में विकास कि नई इबारत लिखने के लिए शासन द्वारा जनभागीदारी कि जो बात कही जा रही है इसकी शुरुवात ८६ साल पहले झाकियो के रूप में हो चुकी थी | तब सबसे पहले हुकुमचंद मिल कि झाकी निकली गयी थी, जिसमे मिल प्रबंधन के साथ ही मजदूरो ने भी पैसा मिलाया था और शुरू हुई थी शहर कि यह गौरवशाली परंपरा |
झाकियो की परंपरा शुरू करने का श्रेय मिल के मेनेजर पन्त वेद्य को जाता है, वे मुंबई में गणेश विसर्जन के चल समारोह में झाकियो को देखकर आये थे| जिसके बाद उन्होंने यहाँ भी ऐसी ही परंपरा शुरू करने के लिए सर सेठ हुकुमचंद से बात कि थी | इस पर उन्होंने सहमति जताते हुए कहा था कि मै झाकियो के लिए पूरा पैसा तो दे दूँगा लिकिन इससे मजदूर समारोह में दिल से नहीं जुड पाएंगे इसलिए मजदूरो से जो सहयोग मिले वो ले और जो बाकि बचेगा वो मै दूँगा| झाकी बनाने के लिए कलाकारों को प्रशिक्षण दने के लिए मुंबई से कलाकारों को बुलवाया गया| सबसे पहली झाकी सेठ हुकुमचंद कि विक्टोरिया बग्गी में श्री गणेश कि प्रतिमा को स्थापित करके निकली गयी थी|
इंदौर कि झाकी के ऊपर भारत सर्कार के फिल्म डिविजन, दिल्ली ने 1954 से 1956 तक डाक्यूमेंट्री बनाई थी | जिसे देश के सभी सिनेमगारो में दिखाया जाता था|

Post a Comment

Previous Post Next Post