इंदौर में पहला नवरात्री महोत्सव
इंदौर में नवरात्री एक महोत्सव की तरह मनाया जाता है परन्तु आज के समय में कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने गरबा आयोजनों पर प्रतिबन्ध लगाया है |
आज हम आपके लिए लाये है गरबा आयोजनों के इतिहास में बारे में कुछ बाते |
इंदौर शहर जिस तरह गरबो के लिए तैयार होता है, उसकी रौनक, उत्साह देखते ही बनता है | बात 1967 की है, जब गुजरात का यह पारंपरिक गरबा नृत्य इंदौर के लिए बेहद नया अनुभव था, यूँ तो गरबो की शुरुवात लाल गली में रहने वाले गुजराती परिवारों ने गुजराती गरबो के आयोजनों के साथ की थी, लेकिन हिंदी गरबो की शुरुवात का श्रेय काछी मोहल्ला को जाती है | जिसे सामूहिक प्रयासों से आयोजित किया गया | इस नयेपन की उमंग के साथ एक डर भी था कि इस नयेपन को लेकर आसपास के लोगो और शहरवासियों की क्या प्रतिक्रिया रहेगी, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओ रामचंद यादव, रामलाल यादव और सीताराम कुशवाह की मोजुदगी में पूरी सहमति से शहर में पहली रजिस्टर्ड समिति श्री नवदुर्गा सांस्कृतिक समिति ने इन गरबो का आयोजन किया, जो आज तक जारी है |
चुकी यहाँ हिंदी गरबे होते थे, साथ ही इसकी रोचकता बढ़ाने के लिए नृत्य-नाटिकाओ का भी आयोजन हुआ, जल्द ही इसकी ख्याति पुरे शहर में फेल गई | इसे गरबा आयोजको की उपलब्धि ही कहाँ जा सकता है कि उस समय काछी मोहल्ले के इन गरबो को देखने में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी भी खुद को नहीं रोक पाए | वह उस समय पद पर रहते हुए यहाँ के एतिहासिक हिंदी गरबे को देखने आए थे | गरबे को देखकर उन्होंने प्रशंसा की और गरबा मंडली की बालिकाओ को पुरस्कार भी दिए थे |
आज हम आपके लिए लाये है गरबा आयोजनों के इतिहास में बारे में कुछ बाते |
इंदौर शहर जिस तरह गरबो के लिए तैयार होता है, उसकी रौनक, उत्साह देखते ही बनता है | बात 1967 की है, जब गुजरात का यह पारंपरिक गरबा नृत्य इंदौर के लिए बेहद नया अनुभव था, यूँ तो गरबो की शुरुवात लाल गली में रहने वाले गुजराती परिवारों ने गुजराती गरबो के आयोजनों के साथ की थी, लेकिन हिंदी गरबो की शुरुवात का श्रेय काछी मोहल्ला को जाती है | जिसे सामूहिक प्रयासों से आयोजित किया गया | इस नयेपन की उमंग के साथ एक डर भी था कि इस नयेपन को लेकर आसपास के लोगो और शहरवासियों की क्या प्रतिक्रिया रहेगी, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओ रामचंद यादव, रामलाल यादव और सीताराम कुशवाह की मोजुदगी में पूरी सहमति से शहर में पहली रजिस्टर्ड समिति श्री नवदुर्गा सांस्कृतिक समिति ने इन गरबो का आयोजन किया, जो आज तक जारी है |
चुकी यहाँ हिंदी गरबे होते थे, साथ ही इसकी रोचकता बढ़ाने के लिए नृत्य-नाटिकाओ का भी आयोजन हुआ, जल्द ही इसकी ख्याति पुरे शहर में फेल गई | इसे गरबा आयोजको की उपलब्धि ही कहाँ जा सकता है कि उस समय काछी मोहल्ले के इन गरबो को देखने में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी भी खुद को नहीं रोक पाए | वह उस समय पद पर रहते हुए यहाँ के एतिहासिक हिंदी गरबे को देखने आए थे | गरबे को देखकर उन्होंने प्रशंसा की और गरबा मंडली की बालिकाओ को पुरस्कार भी दिए थे |